Wednesday, August 26, 2015

The Transit of Venus




नन्ही जिज्ञासु आँखों मे ही पायी
चाँद सितारों ने अपनी परछाई
इतनी चमक तो ख़ुद चाँद में भी नहीं थी
जितनी इन आँखों ने दर्शायी
यही है बचपन की मासूम सच्ची आँखों की कशिश
निश्छल चंचल शब्दों ने यही अपनी परिभाषा है पायी
........कपिल

"The Transit of Venus" 1883
Painting by John George Brown,
American, 1831 - 1913

Friday, August 14, 2015

Millen Barjtya photo

लकीर टपू
त्रिकोण टपू
चैकोर टपू

इक बार टपू
सौ बार टपू

पार करूँगा
जीवन की हर सरहद
यूँही मस्त मस्त कदमो से
पाउँगा सर्वशेष्ट मुकाम

परवाह नहीं चाहे कितनी ही लम्बी हो यह डगर ,
कामना है सिर्फ यही , बने रहने हमेशा मेरे साथ यु ही

.............. मिलन बड़जात्या

Monday, August 10, 2015

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छुक छुक करती आगे बढ़ती
पर्वत जंगल नदी पहाड़
सबको पार करती
समुंदर तट पर लेकर जाती

छुक छुक करती आगे बढ़ती
मे मम्मी नानी को साथ लिए
शनिवार को घूमने निकली
कितने मजे का दिन है यह

छुक छुक करती आगे बढ़ती
सपनो का संसार रचाती
इक दिन चाँद सूरज तक जाउंगी
सात समुन्दर पार हो आऊँगी
महाद्वीप प्रायद्वीप खाड़ी दर्रे
उत्तरी ध्रुवः दक्षिणी ध्रुवः
एवरेस्ट तक हो आउंगी
अपने सारे दोस्त भी लेकर जाउंगी

छुक छुक करती आगे बढ़ती

Tuesday, August 4, 2015

Ay mohbat tere anjaam

ऐ मोहब्बत, तेरे अंजाम पे रोना आया
जाने क्यूँ, आज तेरे नाम पे रोना आया

यूं तो हर शाम उम्मीदों में गुज़र जाती थी
आज कुछ बात है जो शाम से रोना आया

कभी तक़दीर का मातम , कभी दुनिया का गिला
मंज़िले इश्क़ में, हर ग़ाम पे रोना आया

मुजहे पर ही ख़तम हुआ सिलसिला-ऐ-नौउहागिरि
इस क़दर गर्दिश-ऐ-अय्याम पे रोना आया

जब हुआ ज़िक्र ज़माने में मोहब्बत का "शक़ील"
मुझको अपने दिल-ऐ-नाकाम पे रोना आया

               ............................. शक़ील बदायूँनी

ग़ाम : step, footstep, pace of a horse
नौउहागिरि : mourning
अय्याम : fortune