Monday, February 10, 2020

Ulhane Ke Laddoo : Story By Kapil Jain

उल्हाने के लड़डू : Story by Kapil Jain

मम्मी जी का स्वर्गवास हुऐ आज आठ साल हुऐ , उन्ही के शब्दों में कहूँ तो अगर अतीत याद आये तो ख़ुशगवार पल याद करो , अतः उन्हें श्रदांजली स्वरूप , हमारी खूबसूरत ज़िन्दगी का उत्सव , छोटी छोटी बातो में,

मेरी उम्र कोई दस गयारह साल रही होगी , एक शाम जब खेल कूद कर घर पहुँचा तो खाने के मेज़ पर एक लड़डू से भरे डब्बे को देख खुश हो गया , झट से एक लड्डू खाया , जैसे ही और खाने के लिये हाथ बढ़ाया , मम्मी ने रसोई से कहा , अब पहले खाना खा लो

लड़डू बहुत ही मजेदार था, यह कहाँ से आये ? घर पर बनाये लगते हैं ? , हलवाई वाला स्वाद नही हैं ? मैंने पूछा 

हाँ सही हैं , कँचन और कविता की माँ सविता बहनजी ने अपने हाथों से बना कर यह लड़डू भेजे हैं, सिर्फ़ हमे ही नही, सारे मोहल्ले भर को बड़े प्यार से भेजे हैं , बात हमारे साथ के मकान के परिवार की थी, 

मैने पूछा क्यूँ ? क्या खुशी हैं तो मम्मी ने हँसते हुऐ बताया की कंचन और कविता के चार साल के भाई यानी आकाश ने आज गली में एक और पड़ोसी जिन्हें हम विम्मी आंटी कहते थे , के घर कोई छोटी मोटी शैतानी कर दी थी, इसकी शिकायत विम्मी आंटी ने आकाश की माँ से कर दी, इस शिकायत यानी उल्हाने से खुश होकर उन्होंने यह लड्ड़ू भेजे हैं

मैने पूछा यह अजीब बात हुई ? कुछ बात समझ नही आयी , यानी आकाश के शरारत से उपजी शिकायत में खुशी में लड़डू बाटने की क्या वजह हो सकती हैं ?

मम्मी जी ने बताया की सविता बहनजी, आकाश के बहुत देर से चलने बोलने और बचपन की कम गतिविधियों की वजह से हमेशा से बहुत ही चिंतित रहती थी , मैंने हमेशा उन्हें कहा था की आकाश बिलकुल ठीक हैं , कितना खूबसूरत हँसता खेलता बच्चा हैं , कोई कोई बच्चा थोड़ी ज्यादा समय से चलते बोलते हैं , असल समस्या सविता बहनजी की थी आकाश की नही , कंचन और कविता से बारह साल छोटे आकाश का कमजोर पैदा होना , इस बारह साल के बीच में दो और बच्चे हुऐ और छः छः महीने भी जीवित नही रहे , बहुत ही मानसिक वेदना से गुजरी थीं  

आज जब आकाश अपनी शैतानी का उल्हाना लाया तो उन्हें यकीन हो गया की सब बिल्कुल ठीक हैं , इस ही खुशी में लड्डू बटे हैं , शायद कोई मन्नत पूरी हुई हैं भगवान सबको हँसी खुशी दीर्घआयु दे

आज चालीस साल बीते , आकाश अब सिंगापुर में अपने परिवार के साथ रहता हैं और फेसबुक पर लगातार सम्पर्क में हैं

Kapil Jain with Kamini Jain
Kapilrishabh@gmail.com
February , 2020
Noida , U.P. India
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