ज़िन्दगानी , बुलबुला और हम
... by Kapil Jain
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लाखों लहरों पे झूमती ज़िन्दगानी ,
मस्त हिचकोलो पे थिरकती ज़िन्दगानी ,
हर लहर जैसे कह रही हो ,
’ऐ ज़िंदगी’ तू तो है फ़ानी ,
हर इक बुलबुले से नयी कहानी ,
गोल मटोल सतरँगी चमकदार ,
मुस्कुराता इठलाता इतराता बलखाता
अल्हड़ हिचकोलों को ही झूला बनाता ,
जादूई छड़ी से नित नऐ बुलबुले सजाता
जिंदगी की बुनियाद , एक बुलबुला ,
वजूद की बुनियाद , एक बुलबुला
किससे डरे हम ?
क्यूँ डरे हम ?
किसी भी पल क्या होगा ?
पैरो तले क्षणभंगुर बुलबुला ?
क्या बुलबुला फूट जायेगा ?
अगले पल मे , इस पल से ज़्यादा ख़ुशी है क्या ?
अगले पल की बेवज़ह चिंता मे क्यूँ घुले हम ?
जब तक जीये , हर लम्हें का मज़ा क्यूँ न ले हम ?
सफ़र का लुत्फ़ , मंज़िल तक रवानी ,
अगले पल का सफ़र ही है ज़िन्दगानी
मुड़कर देखा , तो साहिल पर खड़ी मेरी ’कामिनी’
मेरे इंतज़ार मे , यही तो है मेरी फकत ज़िन्दगानी
लाखों लहरों पे झूमती ज़िन्दगानी ,
मस्त हिचकोलो पे थिरकती ज़िन्दगानी .....
.... कपिल जैन
फ़ानी : mortal , perishable
रवानी : fluency of life
कामिनी : beautiful girl
फकत : only one
ज़िन्दगानी : life
बुलबुला : bubble ; vibrancy of life
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©®℗
Kapil Jain,
Kapilrishabh@gmail.com
December 10, 2016
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"Boy Blowing Soap Bubbles,
Allegory on the Transitoriness & the Brevity of Life", 1663
Painting by Karel Dujardin,
Dutch, 1626 - 1678
Allegory : A story, poem, or picture which can be interpreted to reveal a hidden meaning.
Transitory : lasting only a short time ; brief ; short-lived ; temporary.
Brevity : Shortness of time.
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