Kapil Jain's Understanding of the
"Mai Re" माई री, मैं कासे कहूँ पीर, अपने जिया की,
माई री, highly intense poem by
Majruh Sultanpuri Sahib from Movie 'Dastak', This Template Audio Sung By
Music Director Madan Mohan Sahib Ji
for the Guidance to Lata Mangeshkar Sahiba, who recorded actual music score. ( No video )
माई री, मैं कासे कहूँ पीर, अपने जिया की, माई री,
Oh My Mother, To Whom
I Share the Distress of my heart?
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हाँ
माई री, मैं कासे कहूँ पीर, अपने जिया की,
माई री,
ओस नयन की उनके, मेरी लगी को बुझाये ना,
तन मन भीगो दे आके, ऐसी घटा कोई छाये ना,
मोहे बहा ले जाये, ऐसी लहर कोई आये ना,
ओस नयन की उनके, मेरी लगी को बुझाये ना,
पड़ी नदिया के किनारे मैं प्यासी, माई री,
पी की डगर में बैठे मैला हुआ री मेरा आंचरा,
मुखडा है फीका फीका, नैनों में सोहे नहीं काजरा
कोई जो देखे मैया, प्रीत का वासे कहूं माजरा
पी की डगर में बैठा मैला हुआ री मेरा आंचरा,
लट में पड़ी कैसी बिरहा की माटी, माई री
आँखों में चलते फिरते रोज़ मिले पिया बावरे
बैंया की छैंया आके मिलते नहीं कभी साँवरे
दुःख ये मिलन का लेकर , काह कारूँ , कहाँ जाउँ रे
आँखों में चलते फिरते , रोज़ मिले पिया बावरे ,
पाकर भी नहीं , उनको मैं पाती माई री ...
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हाँ
माई री, मैं कासे कहूँ पीर, अपने जिया की,
माई री,
Oh My Mother, To Whom I Share the Distress of my heart?
माई री : Oh Mother
मैं कासे : To Whom
कहूँ : Tell
पीर : पीड़ : Pain , Distress
अपने जिया : my heart
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ओस नयन की उनके, मेरी लगी को बुझाये ना,
तन मन भीगो दे आके, ऐसी घटा कोई छाये ना,
मोहे बहा ले जाये, ऐसी लहर कोई आये ना,
पड़ी नदिया के किनारे मैं प्यासी, माई री,
ओस नयन की उनके, मेरी लगी को बुझाये ना,
Moist eyes of beloved failed to
extinguish the fire within me ,
तन मन भीगो दे आके, ऐसी घटा कोई छाये ना,
No rain from overcast skyies drench me to extinguish the fire raging inside.
मोहे बहा ले जाये, ऐसी लहर कोई आये ना,
No wave come to swept me
to librate me from this misery
पड़ी नदिया के किनारे मैं प्यासी, माई री,
I am thirsty even on a river bank within abundance of water , Oh mother
ओस : moist , tear
नयन : eyes
घटा : dense black clouds in horizon
छाये : spread of black clouds
मोहे : to me
बहा : swept
ले जाये : take away
ऐसी : this kind
लहर : wave
नदिया : river
किनारे : bank of river
प्यासी : thirsty
माई : mother
माई री : oh my mother
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पी की डगर में बैठे मैला हुआ री मेरा आंचरा,
मुखडा है फीका फीका, नैनों में सोहे नहीं काजरा
कोई जो देखे मैया, प्रीत का वासे कहूं माजरा
लट में पड़ी कैसी बिरहा की माटी, माई री
पी की डगर में बैठे मैला हुआ री मेरा आंचरा,
waiting on the passage of beloved anticipation of his return endlessly, spoiled my total soul ( metaphorical आंचरा : आँचल : दुपट्टा : Head Covering : Self Respect )
Or
In endless anticipation of return of beloved lost all self dignity , respect , esteem , confidence .
मुखडा है फीका फीका, नैनों में सोहे नहीं काजरा
Despaired face lost all grace glare ,
eyes doesn't enjoy kohl
Or
Above said endless waiting spoiled the all glory grace of personality as in the deep heart , the innermost sad feeling deject all materialistic cosmetic enjoyment.
कोई जो देखे मैया, प्रीत का वासे कहूं माजरा
What to say to anybody concerned about my sad dull or heartless appearance due to sanctity or privacy of my love towards beloved.
लट में पड़ी कैसी बिरहा की माटी, माई री
Metaphorical : as every one take care of cleanness of hair but the despaired separation spoiled the hairs due to (metaphorical : dust) , dust of neglect , deject , despair , curse on oneself
पी : पिया : beloved
डगर : passage , return path
बैठे : sitted
मैला : filthy , dirty , need washing
री : addressing a female here her mother ( slang )
मेरा : my
आंचरा : vail , scarf , ( metaphorical : self dignity , pride , confidence )
मुखडा : face
फीका : faded ( lost grace , glory )
नैनों : eyes
सोहे : splendid , decoration , enjoyment
काजरा : काजल , black kohl , eyeliner
कोई जो देखे : anyone who see
मैया : माई : माँ : mother
प्रीत : love
वासे : sanctity , privacy
कहूं : to tell
माजरा : the story , narration , episode
लट : Curl in hair , hair’s coil
बिरहा : separation
माटी : dust , mud ,
माई री : oh my mother : addressing mother in despair
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आँखों में चलते फिरते रोज़ मिले पिया बावरे
बैंया की छैंया आके मिलते नहीं कभी साँवरे
दुःख ये मिलन का लेकर , काह कारूँ , कहाँ जाउँ रे
पाकर भी नहीं , उनको मैं पाती माई री ...
आँखों में चलते फिरते रोज़ मिले पिया बावरे
In half senses, eyes I could feel my beloved widely
बैंया की छैंया आके मिलते नहीं कभी साँवरे
But never come within my embracement oh my beloved ( here refered as Lord Krishna : साँवरे : the ultimate mystic beloved )
दुःख ये मिलन का लेकर , काह कारूँ , कहाँ जाउँ रे
Pain of separation : to whom to tell ? : where to go ?
पाकर भी नहीं , उनको मैं पाती माई री ...
I can't touch even after feeling him
Oh my mother
आँखो : eyes
चलते फिरते : walking , moving
रोज़ : daily
मिले : meet , met
पिया : beloved
बावरे : addressing with Ardour of love
बैंया : arms
छैंया : shadow
बैंया की छैंया : embrace , physically touch
आके मिलते नहीं कभी : never come to meet
साँवरे : साँवला : dark complextion :
reference to Lord Krishna :
Ultimate Beloved Lover in Indian folklore
दुःख : pain , suffering
मिलन : union
काह : what
कारूँ : to do
काह कारूँ : what to do
कहाँ : where
जाउँ : to go
कहाँ जाउँ रे : where to go
पाकर : feel
पाती : get
माई री : oh my mother
_______________________________
©®℗
Kapil Jain,
Kapilrishabh@gmail.com
January , 22 2017
Thanks Sir jee. I was looking for meaning of words in this song.
ReplyDeleteThank you Kapilji. I was searching for this and yours is the only explanation I found and it is so very good. Looking forward to reading your other posts
ReplyDeleteThank you very much.
ReplyDeleteWhat a song and feel
ReplyDeleteगाना माई री मैं कासे कहूँ पीर अपने जिया की
ReplyDeleteगीतकार मजरूह सुलतानपुरी
चित्रपट दस्तक
न तड़पने की इजाज़त है न फ़रियाद की है
घुट के मर जाऊँ ये मर्ज़ी मिरे सय्याद की है
क़मर ज़लालावादी की इस रचना को भूमिका बनाते हुए मजरूह ने स्वयं की रचना के गूढ़ रहस्य को गीत सुनने से पूर्व ही स्पष्ट कर दिया है। इसमें पुरुष प्रधान व्यवस्था आधारित पारिवारिक ढाचा स्त्री-जीवन की त्रासदी बनकर उभरा है क्योंकि यही वह आधारभूमि है जहां शील और संस्कारों की महीन बुनावट स्त्री को समझौते करना सिखाती है। पितृसत्ता दबावों में घुटती स्त्री की कुण्ठा को बिम्बित कर रचनाकार ने समाज में व्याप्त उस व्यवस्था को चुनौती दी है जहां पारिवारिक आदर्श द्वारा प्रस्थापित स्त्री परवशता के संदर्भ में संवेदनशील हृदय के साथ वैज्ञानिक विवेक और सक्षम रीढ़ से संपन्न समाज विलुप्तप्राय हो गया है। गीत में दाम्पत्य जीवन की लालसा में स्त्री की दमित इच्छाओं की व्यथा का मार्मिक प्रारब्ध है। क्योंकि माता को संतानों की अनुभूतियों का संवाहक माना जाता है इसलिए अपनी व्यथा को वह मां से साझा करती है।
माई री मैं कासे कहूँ पीर अपने जिया की
हे मां। मैं अपने हृदय की पीड़ा को किससे साझा करूं?
ओस नयन की उनके मेरी लगी को बुझाये ना
इससे किसी के हृदय से द्रवित अश्रुबिन्दु विरह का शमन नहीं करते। इसके शमन की प्रत्याशा में अमृतरूपी वृष्टिकारक श्याममेघ भी नहीं दिखते । (इस परिप्रेक्ष्य में साहिर ने फिल्म प्यासा के एक गीत की विरहिणी की याचना -.....‘‘हृदय की पीड़ा देह की अगनी, सब शीतल हो जाये ....‘‘आज सजन मोहे अंग लगा लो )
...तन मन भीगो दे आके ऐसी घटा कोई छाये ना
...मोहे बहा ले जाये ऐसी लहर कोइ आये ना
हे मां। मुझे बहाकर ले जाये, इस प्रकार की किसी नदी की अनुकूल लहर भी नहीं आती, जिससे मैं विरक्त हो जाऊॅं।
....पड़ी नदिया के किनारे मैं प्यासी
सतत अश्रुपतित नदी के किनारे पड़ी (रुग्णावस्था) रहने के बावजूद तृष्णा यथावत है।
...पी की डगर में बैठा मैला हुआ री मोरा आंचरा
मुखडा है फीका फीका नैनों में सोहे नहीं काजरा
प्रियतम के आने की आस मे रास्ता देखते-देखते आंचल (प्रसुप्त इच्छायें) मलिन हो गया है, कांतिहीन मुख की पथराई आंख में काजल जैसे श्रृंगार भी शोभा नहीं पातें। दुःख रूपी धूल कुन्तलों को धूसरित कर रही है,
....कोई जो देखे मैया प्रीत का वासे कहूं माजरा
ऐसे में भी कोई करुणामयी दृष्टिपात करे तो अपना क्रन्दन बयां करूं.. ।
....लट में पड़ी कैसी बिरहा की माटी
कुन्तलों को दुःख रूपी धूल धूसरित कर रही है,
माई री ....
...आँखों में चलते फिरते रोज़ मिले पिया बावरे
बैंया की छैंया आके मिलते नहीं कभी साँवरे
कल्पनायें सहसा जीवन्त होकर सुखद बहारों का अनुभव कराते हैं किन्तु तन्द्रा भंग होते ही आलिंगन को उद्यत ममतामयी करपाशों में मात्र सिसकियां ही दम तोड़ती हैं,
...दुःख ये मिलन का लेकर काह कारूँ कहाँ जाउँ रे
हे मां। इन विरहतप्त आकांक्षाओं का शमन करने के लिए क्या करूं ...? कहां जाऊॅं?
पाकर भी नहीं उनको मैं पाती
जिसकी सुखद अनुभूति के बावजूद वे यथार्थ में सार्थक नहीं हो पा रहे हैं...।
माई री ....हे मां....
राकेश कुमार वर्मा
मो. 7999682930