Happy Birthday Daddy
My Daddy Late Shri Karam Vir Jain
Born : March 15th, 1927
Eternity : July 29th, 1990
My Daddy Late Shri Karam Vir Jain
Born : March 15th, 1927
Eternity : July 29th, 1990
आज डैडी के जन्मदिन के शुभ अवसर पर उनकी यादों में,
कुछ हकीकत , कुछ अफ़साना
कुछ हकीकत , कुछ अफ़साना
इत्र की बूँद : Drop of Attar : Story by Kapil Jain
दिल्ली के लाल किले के सामने ऐतिहासिक बाज़ार चाँदनी चौक की शुरुआत जैन मंदिर जो लाल मंदिर के नाम से विख्यात हैं से होती है , मेरे डैडी सप्ताह में एक बार दर्शन को ज़रूर जाते थे , जब हो सके तो हम बच्चें भी साथ जाते थे ।
एक बार हम मंदिर में देव दर्शन के बाद चांदनी चौक के भीड़ भरे बाज़ार से गुजर कर दरीबा कलां के सोने चाँदी के आभूषण के मुगल कालीन बाज़ार में किसी व्यक्ति से मिलने के लिये जा रहे थे ।
दरीबा कलां बाज़ार में खुशबू इत्र महक बेचने के लिये एक दुकान जो गुलाब गन्धी के नाम से करीब सौ साल से मशहूर हैं , के सामने से गुजरे , दुकान में सजी खूबसूरत शीशियों में भरे रंग बिरंगे द्रव्य , और उनसे आकर्षित होकर ज़रा से करीब जाते ही , मादक खुशबू , वाह क्या बात थी ।
मैने डैडी से पूछा यह कैसी दुकान हैं , डैडी ने जवाब दिया बहुत ही ख़ास दुकान हैं , आओ देखे , डैडी ने दुकानदार से कहा की मिट्टी का इत्र को सुंघाईये , दुकानदार ने एक शीशी से एक हल्की बूँद मेरे हाथ पर लगाई , मैने जब सूँघा तो अवाक रह गया , मिट्टी की सौंधी सौंधी खुशबू , जैसे पहली बारिश के बाद पल दो पल के लिये आती है , जैसे नये नये मिट्टी के घड़े के पहले दो तीन दिन पानी पीने में आती हैं , यह मिट्टी का इत्र कैसे बनाया ? यह अनुभव शब्दों में कैसे बयान करूँ ?
गुलज़ार साहिब के शब्दों में :
सिर्फ़ अहसास हैं यह रुह से महसूस करो ...
सिर्फ़ अहसास हैं यह रुह से महसूस करो ...
डैडी ने दो किस्म इत्र खरीदे , पहली मिट्टी और दूसरी गुलाब
वापसी के रास्ते में डैडी ने बताया ,
गुलाब का इत्र , हज़ारो फूलों को मसल कर एक बूँद इत्र बनता हैं , इस ही तरह एक अनुभवी व्यक्ति अपने अनेक अनुभव की सफलता असफलता से अर्जित ज्ञान को कभी बताये लिखे, तो सुनो , पढो , परखों ।
मिट्टी का इत्र , एक हुनर को दर्शाता है , अनेकानेक प्रयोगों के बाद तय हुई एक विधि , यानी पल दो पल के लिये आती खुशबू को एक तरल बनाकर एक शीशी में बंद करने की विधि ।
कोई भी हुनर, औरों से श्रेष्ठ हो तो उचित व्यापारिक लाभ से धन कमाने का आधार , जैसे यही इत्र की दुकान , इस तरह की बीसियों इत्र बेचने की दुकानों में इनके पास सर्वश्रेष्ठ हुनर हैं ।
आज यह बात हुऐ पैंतीस चालीस साल हुऐ होंगें , बीते कल की बात लगती हैं , आज भी किसी भीड़ में अकेले हुऐ तो अगले ही पल अपना बेचैन हाथ डैडी के मजबूत हाथों में थामे पाया ।
Your this article is conveying some thing .. teaching me.. making me to think.. A deep and touching .
ReplyDeleteAwesome.. keep writing!
ReplyDeleteOther cool
ReplyDeleteOther core
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