Classic Sensuous
Great poem
जब ये श्यामल संध्या
रात्रि में विलीन हो जायेगी।
नभ पर छिड़की हुई लाली
जब अंधकार में
लीन हो जायेगी ।
तब अपने कक्ष में
ऊष्मा भरे प्रेम के
दीप जलाना ।
उड़ेल देना अपने
नयनों से
स्नेह भरी मदिरा ।
और सिद्ध कर देना
इतना भी कठिन नहीं
है जीना ।
Shri Aniruddh Agarwal Bhai Sahib Ji
No comments:
Post a Comment