Kapil Jain's :
Translation & Understanding of Parveen Shakir's
”Ku Ba Ku Phail Gayi Baat Shanasai ki"
कू-ब-कू फैल गई बात शनासाई की
उस ने ख़ुश्बू की तरह मेरी पज़ीराई की
कैसे कह दूँ के मुझे छोड़ दिया है उसने
बात तो सच है मगर बात है रुस्वाई की
तेरा पहलू तेरे दिल की तरह आबाद रहे
तुझ पे गुज़रे ना क़यामत शबे-तन्हाई की
वो कहीं भी गया लौटा तो मेरे पास आया
बस यही बात है अच्छी मेरे हरजाई की
उसने जलती हुई पेशानी पे जब हाथ रखा
रूह तक आ गई तासीर मसीहाई की
अब भी बरसातों की रातों में बदन टूटता है
जाग उठती है अजब ख्वाईशें अँगड़ाई की
.......परवीन शाक़िर
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कू-ब-कू फैल गई बात शनासाई की
उस ने ख़ुश्बू की तरह मेरी पज़ीराई की
कू-ब-कू : सारी दिशाओं में
शनासाई : परिचय होना
पज़ीराई : स्वीकृति
भावार्थः
जैसे एक परिचय की बात , गली मौहल्ले में फैल जाना,
जिससे बहुत बदनामी का अंदेशा हो ,
इसके विपरीत , इस बात का ऐसे स्वागत हो ,
जैसे एक ख़ुश्बू ख़ुशी देती है
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कैसे कह दूँ के, मुझे छोड़ दिया है उसने
बात तो सच है , मगर बात है रुस्वाई की
रुस्वाई : बदनामी अपमान अनादर
भावार्थः
सच तो है की उसने छोड़ दिया उसको ,
पर बदनामी के डर से यह बात बताने की नहीं है
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तेरा पहलू तेरे दिल की तरह आबाद रहे
तुझ पे गुज़रे ना क़यामत शबे-तन्हाई की
तेरा पहलू : तेरा सोचना , तेरा हाल , your version
आबाद : बसा हुआ , inhabited
क़यामत : day of final judgment by god
शबे-तन्हाई : night of loneliness
भावार्थः
यह मेरी दुआ है की
तेरी सोच तेरा हाल , तेरे दिल की तरह ही आबाद रहे ,
और उसको कभी भी अकेलेपन से बोझिल रात ,
जहाँ एक एक पल मौत के आख़री लम्हें की तरह तकलीफ़ देय हो , कभी न गुज़ारनी पड़े ,
जैसी मैने गुजारी है
या
हम पे जो भी गुजरे
तुम हर तरह से ठीक रहो
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वो कहीं भी गया लौटा तो मेरे पास आया
बस यही बात है अच्छी मेरे हरजाई की
हरजाई : आवारा , Vagabond
भावार्थः
वो बेवफ़ा , मुझे छोड़ कर , दुनिया मे कहीं गया
पर जब आया तो मेरे ही पास आया ,
बस यही बात मुझे अच्छी लगती है
या
आपकी मोहब्बत इतनी ज्यादा अंधी है की वो कुछ भी करे , आप फिर भी उसमे सिर्फ अच्छाई ही तलाशते रहते है।
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उसने जलती हुई पेशानी पे जब हाथ रखा
रूह तक आ गई तासीर मसीहाई की
जलती : feverish or burning
पेशानी : माथा : forehead
रूह : soul : आत्मा
तासीर : प्रभाव : influence
मसीहाई : मसीहा : healer : great touch
भावार्थः
"उसने" जिसका दिल को इंतज़ार था , जब मेरे जलते हुए माथे पर अपना हाथ रखा ( उदाहरणतः बुख़ार से तपते हुए माथे पर ) ,
आत्मा ने उस स्पर्श मे मसीहा वाली आत्मीयता का अहसास किया ।
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अब भी बरसातों की रातों में बदन टूटता है
जाग उठती है अजब ख्वाईशें अँगड़ाई की
भावार्थः help yourself
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Original Source :
कू-ब-कू फैल गई बात शनासाई की
https://rekhta.org/ghazals/kuu-ba-kuu-phail-gaii-baat-shanaasaaii-kii-parveen-shakir-ghazals?lang=Hi
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Thanks a lot for this work.
ReplyDelete👏👏
ReplyDeleteBabut khoob
ReplyDeleteKeep it up
ReplyDeleteGreat sir
ReplyDeleteMarvellous
ReplyDeleteGreat Jain sahaab
ReplyDeleteThanks you're doing excellent work by helping people understand good literature
ReplyDeleteआपके सुंदर प्रयास के लिए धन्यवाद......
ReplyDelete👌👌
ReplyDeleteAmazing
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