Tuesday, April 7, 2020

जलेबी : Short Story by Kapil Jain


जलेबी : Short Story by Kapil Jain

बात करीब पच्चीस तीस साल पहले की रही होगी, करोल बाग़ में हमारे पुराने घर के सामने नुक्कड़ पर रोज़ शाम, किशनलाल जी हलवाई और उनके लड़के गर्मागर्म जलेबी बनाते थे ।

रोज नही, कभी कभी, हवा के रुख से बह कर गर्म जलेबी की ख़मीर से भरी मादक खुशबू, हमारे झज्जे को भी महका जाती थी, उसी समय घर का कोई न कोई सदस्य जलेबी की फरमाइश करता, मैं उस तरफ लपकता, जलेबी लाता और सारा घर मजे करता ।

आप याद करिये, जब जलेबी चपटी कड़ाई में गर्म तेल में तल कर, ख़ौलती गर्म चाशनी की कड़ाई में डुपकी लगाती हैं, और चाशनी का जलेबी के रोम रोम में समा जाना, उसके बाद तर जलेबी का छन्नी के ऊपर से सराबोर चाशनी का वापस टपकना, हमेशा से मेरे लिये यह दृश्य, अपने आप मे दो प्रेमियों की चरम गाथा सी हैं, जो दोनों एक दूसरे को तृप्त किये जा रहे हो । 

Lockdown अप्रैल 2020 , उन दिनों सारा हिन्दुस्तान, Corona Virus को लेकर इक्कीस दिन के लिये अपने अपने घरों की चारदीवारी में बंद था, उससे पिछले भी कुछ दिन बहुत ही चिंता भरे थे, कारोबार रुपये पैसे ख़र्चे इत्यादि को लेकर कुछ शुरुआती दिनों की चिंता, फ़िर दिल दिमाग ने अपने आप को आगे के लिये तैयार कर लिया था, जो होगा देखा जायेगा, सब के साथ हैं, सिर्फ़ हमारे साथ हो ऐसा तो नही, यही सोच कर सब सब्र कर रहे थे, यानी दिल दिमाग कुछ हल्के हुऐ थे ।

एक शाम मौसम बहुत ही सुहाना था, हल्की हल्की बारिश से फज़ा में एक रवानगी सी आ गयी थी, बाहर आंगन में बैठे, जाने क्यूँ जलेबी की याद आ गईं , वैसे घर में रहते सब अपनी बुनियादी जरूरतों को ही पूरी कर पा रहे थे, रोटी सब्जी दाल चावल चाय इत्यादि, घर पर इस समय जलेबी का कोई जुगाड़ नही हो सकता था, घर के बाहर एक लक्ष्मणरेखा, वजह lockdown अतः बाजार इत्यादि सब बंद थे । 

जलेबी की याद का इस समय क्या मतलब ?, दिमाग ने दिल से पूछा, क्या मतलब का क्या मतलब ?, याद तो कभी भी किसी की भी आ सकती है, अगर दिल भी दिमाग की तरह दो और दो चार सोचने लगे तो घटती बढ़ती धड़कन का काम कौन करेगा ?, चंट दिल ने उलट जवाब दिया । 

दिल तुम ही समझो, तुम्हारी यह बेवक़्त की ख्वाहिश ही सारे दुखों की जड़ हैं, दिमाग ने समझाने की बेकार कोशिश की ।

जो चीज़ जिस वक़्त ना मिल सके और उसकी बेहद याद आये, उस याद में सब्र और बेचैनी की कौन सी हद मुकर्रर हो ? , कौन से जरूरत कब जरूरी कब फ़िज़ूल , और सही समय आने पर उस याद से उपजी तमन्ना को पाने की मेहनत यानी निमित कर्म I

शायद दिल और दिमाग की यही कश्मकश, स्वाध्याय को प्रेरित करती पहली सीढ़ी तो नही जिसमें खुशी, दुख, प्रेम, वासना , विरक्ति, इत्यादि भावों का सही अर्थ, व्याख्या, अभिव्यक्ति, आचरण, का ज्ञान प्राप्त हो,

शायद हाँ ....

जलेबी : Short Story by Kapil Jain
Noida, April 2020 
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