Tuesday, August 4, 2015

Ay mohbat tere anjaam

ऐ मोहब्बत, तेरे अंजाम पे रोना आया
जाने क्यूँ, आज तेरे नाम पे रोना आया

यूं तो हर शाम उम्मीदों में गुज़र जाती थी
आज कुछ बात है जो शाम से रोना आया

कभी तक़दीर का मातम , कभी दुनिया का गिला
मंज़िले इश्क़ में, हर ग़ाम पे रोना आया

मुजहे पर ही ख़तम हुआ सिलसिला-ऐ-नौउहागिरि
इस क़दर गर्दिश-ऐ-अय्याम पे रोना आया

जब हुआ ज़िक्र ज़माने में मोहब्बत का "शक़ील"
मुझको अपने दिल-ऐ-नाकाम पे रोना आया

               ............................. शक़ील बदायूँनी

ग़ाम : step, footstep, pace of a horse
नौउहागिरि : mourning
अय्याम : fortune

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