Saturday, November 28, 2020

मेरी आवाज ही पहचान है : Short Story by Kapil Jain

मेरी आवाज ही पहचान है  : Short Story by Kapil Jain

नाम गुम जाएगा, चेहरा ये बदल जाएगा
मेरी आवाज़ ही पहचान है, गर याद रहे
                                      ...गुलज़ार

मेरी खुशकिस्मती रही है कि मैने हिन्दुस्तान के महानतम गायक यानी पंडित भीमसेन जोशी , पंडित कुमार गंधर्व , पंडित जसराज , उस्ताद नुसरत फतेह अली खान साहिब से लेकर मेरी पीढ़ी तक के उस्ताद राशिद खान , उस्ताद शुज़ात हुसैन खान तक सबको को रूबरू सुना हैं , देखा हैं , और रूह तक महसूस किया है , यह तो हुई हिमाचल की चोटी की पर्वत श्रंखला स्वरूप सुर-विभूति ।

परन्तु सबसे ज्यादा याद कौन सा संगीत आया ? शायद कोई और ?

मैंने छटी कक्षा में नये स्कूल रामजस नम्बर पाँच , करोल बाग , दिल्ली में एडमिशन लिया , जहाँ जाने के लिऐ लोकल बस जिसको DTC कहते थे , तीन स्टॉप की दूरी थी , साल भर के आने जाने में करीब बीस तीस चालीस ना जाने कितनी बार मिली दो बंजारन लडक़ी , ढपली लेकर गाती थी , आज भी उनकी खनकती आवाज में गाया गाना याद हैं ।

एक तू जो मिला सारी दुनिया मिली ,
खिला जो मेरा दिल सारी बगियाँ खिली

चमकदार सुर्ख काली रेशम सी त्वचा में दमका चेहरा , बड़ी बड़ी सुरमे से भरी हिरनी सी आँखे , सफेद धातु के मोटे मोटे गहने पहने , शीशे जड़े कपड़े पहने , एक बंजारिन की मोटी मोटी उंगलियों से ढपली से उफनती थाप , दूसरी बंजारिन के हाथों में मँजीरा सा कोई वाद्य यंत्र ।

दोनों का एक साथ बेहद बुलंद आवाज़ में गाना और पूरे जोश में बजाना और जो एक दो रुपये देना चाहे वो भी लेना , उन्हें देखते ही मैं बस के बीच वाली सीट पर आकर बैठ जाता था , जब वो दोनों बस के बीच के गलियारों से गुजरती हुई मेरे करीब से निकलती थी तो वो आवाज़ मेरे दिल दिमाग को लगभग भीगो कर रख देती थी जैसे तेज़ बारिश की बौछार से तृप्त दिल और दिमाग़ ।

मुझे उन्हें एक दो रुपये देना बिल्कुल उनकी तौहीन लगता था , इतनी बड़ी कलाकार को सिर्फ़ एक दो रुपये , मन मे विचार आता था , लोगों को कला की कद्र ही नही हैं , मुझे बस में सिर्फ़ उनका ही इंतज़ार रहता था , जबकि वो दोनों एक हफ्ते में एक दो बार से ज्यादा नही मिलती थीं ।

एक बार मैने माँ से पाँच रुपये माँगे , उन्होंने पूछा क्यूँ ? तो मैंने उन्हें सारी बात बताई और कहा की पाँच रुपये तो होने ही चाहिये इन कलाकारों के लिये , दो रुपये तो बहुत कम है , कुछ हैरान कुछ परेशान माँ ने मुझे पाँच रुपये देते हुये कहा कि शाम को बात करेंगे ।

स्कूल से वापस आते ही माँ ने पूछा पाँच रुपये के बारे में , मैंने उन्हें पैसे लौटाते हुऐ कहा कि दोनों मिली ही नही , मेरे चेहरे की उदासी उन्होंने साफ़ पढ़ ली , इसके बाद महीनों माँ ने रोज़ स्कूल से लौटते ही इस विषय मे पूछतीं , मैं सच सच बताता , आज सोचता हूँ तो सपष्ट समझ आता है कि उन्हें किसी भी भटकाव पर नज़र रखनी थीं ।

उसके बाद दो तीन साल गुजरे वो दोनों कभी नही मिली, एक दिन कहीं और जाते हूऐ बस की खिड़की से उन दोनों बंजारनो मे से एक को देखा , अगले स्टॉप पर उतरा , वापस चलकर वहाँ पहुँचा , एक लड़की मिली , वो गड़रिये लौहार थे जो सड़क किनारे लोहे का सामान बनाकर बेचते थे , मैंने पूछा कि अब आप बस में गाना गाने नही आते , उसने बताया कि उसकी बहन जो उसके साथ गाती थी किसी वजह से चल बसी , इसलिये ही अब उसका मन नही करता गाना गाने के लिये , यह सुनकर मन बहुत उदास हो गया था , कदम वापस हो चले थे , सौ दो सौ कदम चला हूँगा , जेब टटोली तो सौ रूपये मिले , वापस गया तो खुद्दार बंजारन ने रुपये लेने से साफ इंकार कर दिया , जब मैंने बताया कि मैंने आपके बहुत से गाने सुने हैं तब बड़ी मुश्किल से उन्होंने पैसे लिये, लौटते समय कलाकारों की जोड़ी टूटने से बहुत भारी मन था और सौ रुपये की वापस अदायगी जैसे क़र्ज़ वापसी का सा एहसास ।

घर वापस आते ही सारी बात माँ को बताई , उन्होंने अचरज़ भरी निगाहों से कहा की सारी बात एक कागज पर लिख लो तो मन हल्का हो जायेगा , सो आज करीब पैतीस चालीस साल बाद लिख रहा हुँ ।

इस ही दौरान सन 2003 - 2004 जब हमारा घर बन रहा था , एक दिन कारपेंटर अपनी लकड़ी काटने की आरी के दाँतो को धार लगा रहे थे , एक तिकोनी रेती से , जिससे निकलती एक आवाज़ , उस ही समय फिर याद आयी उन दोनों बंजारनो की सीधी दिल मे उतरती एक कटार से बुलंद आवाज़ , वही ढपली की थाप और मँजीरे की खनक ।

If my soul is happy, Whole world is happy
खिला जो मेरा दिल सारी बगियाँ खिली...

Short Story By Kapil Jain
November 28th, 2020
Noida, U. P., INDIA
All Rights Reserved. 

1 comment:

  1. Kya baat hai.. A moving tale.. Thought provoking beautiful piece of writing

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