Tuesday, December 8, 2020

एक खुशबू आती थी ... Five Minutes Story By Kapil Jain

एक खुशबू आती थी
                       ... Five Minutes Story By Kapil Jain

मोबाइल की घंटी बजी, देखा पुरी साहिब का फोन था । । उनकी पहली आवाज़ से ही माहौल में एक ख़ुशी का सा एहसास, वो मोहब्बत लिये पूछते हैं मुझसे, मैं आपके दिये Order का सामान ला रहा हूं, आप अपने ऑफिस में हो या नही ? मैने जवाब दिया, पुरी साहिब आप आईये मैं ऑफिस में ही हूँ, वापस बोले, मुझे Coffee पीनी हैं आपके साथ, ज़रूर पुरी साहिब मेरा जवाब था ।

ऑफिस में पुरी साहिब के आते ही फ़िजा में कई तरह की रंगत एक साथ महसूस की जा सकती थी, लम्बा चौड़ा कदकाठी, गोरा चिट्टा खिलखिलाता चेहरा, कड़क प्रेस की हुई सफ़ेद कमीज़, लच्छेदार पंजाबी लहजे में लखनऊ के शब्द, हर शब्द से टपकती एक किलकारी, और एक बहकती लरजती सी इत्र की खुशबू ।

आज कौन सा Perfume लगाया है आपने ? मैंने पूछा, पुरी साहिब के चेहरे पर आयी ख़ुशी से तुरंत लगा, उन्हें इस ही प्रश्न की मुराद थी, शरारती मुस्कान लिये बोले, कपिल भाई, Perfume नही, यह हिना नाम का इत्र है, खास दुकान हैं लखनऊ में इत्र की, हिना इत्र सिर्फ़ सर्दियों में ही लगाया जा सकता हैं, बहुत गर्म तासीर होती हैं, गर्मी के मौसम में लगा लो तो नकसीर तक आने का ख़तरा हो जाता हैं, इतनी जानकारी से मुझे लगा की पुरी साहिब को बड़ी गहरी समझ हैं इत्र इत्यादि की ।

सारे ऑफिस में वाक़ई एक रूमानी खुशबू कैफियत पर तारी हो चुकी थी, मैने तब तक ऑफिस में Coffee बनाने को बोल दिया था और मुझे पता था कि Filter Coffee की तेज़ महक इस हिना की खुशबू को तहस नहस कर देगी, पर कुछ हो नही सकता था ।

मैने पूछा, लगता है आपको इत्र का शौक भी है और समझ भी, तभी तो आपको लखनऊ तक की ख़ास दुकान की जानकारी है, तुरँत शर्माते हुऐ बोले, अरे नही कपिल जी, हमे कोई परख समझ नही है, यह तो मेरी मिसेज़ की पसंद है वो लखनऊ की हैं। Coffee आई, चुस्की लेते हुऐ बोले, कपिल भाई, आपकी Coffee का कोई जवाब नही । 

अगली बार जब सामान देने आये तो मैंने पूछा कि अबकी बार का इत्र तो हिना नही है, कोई दूसरा है, तुरंत मुस्कुराते हुऐ बोले यह इत्र फिरदौस हैं, ईरान से आया है, मामाजी गये थे मिसेज़ ने फ़रमाइश से मंगवाया हैं । सुबह जब में नहाकर बाहर आता हूँ तो कमीज़ पैंट सूट इत्यादि और इत्र मेरी मिसेज़ तैयार रखती हैं, यकीनन पुरी दंपति सही मायने में दीवाने थे एक दूसरे के, उनके अनुसार करीब सौ किस्म के इत्र हैं उनकी कलेक्शन में ।  Coffee की चुस्कियों में बोले, वाह Coffee अलग किस्म हैं । जी चेन्नई से मंगवाई है, मैने जवाब दिया ।

एक बार Order के माल में हुई देरी के सबब मैने पुरी साहिब को फ़ोन किया, पता चला कि भाभीजी को कोई गहरी बीमारी हुई है और पुरी साहिब सात-आठ महीने से अलग अलग अस्पताल में टक्कर खा रहे है और कारोबार पर नही आ पा रहे है, अत्यंत चिंता की बात थी यह ।

कुछ समय और गुजरा , भाभीजी के देहांत की ख़बर सुनकर , मैं पुरी साहिब से मिलने पहुंचा, हमारी पिछली मुलाकात को यूं तो करीब एक साल हुआ होगा, परन्तु इस दौरान में पुरी साहिब की उम्र मानों दस साल बढ़ गयी थी चेहरे पर गहरी उदासीनता से उफना बुढ़ापा ।

कुछ महीने बाद एक अन्य Order के विषय मे पुरी साहिब से बात हुई , बोझिल आवाज़ में बोले फैक्ट्री का व्यक्ति कल माल लेकर आयेगा, मैंने पूछा आप आईये, जवाब दिया, नही कपिल जी, अब मैं कही आता जाता नही, मेरा मन नही करता, मैंने बहुत ज़ोर देकर कहा कि हम Coffee साथ पियेंगे आपको आना ही होगा, आपका मन भी बदल जायेगा, वो नही माने और अंत तक ना कहते रहे, अगले दिन जाने क्या हुआ उनका फ़ोन आया, पूछा क्या मैं ऑफिस में हूँ ?, जी हाँ मेरा जवाब, मैं आ रहा हूं उनका जवाब ।

बोझिल चेहरा, सलवटों में उलझी कमीज़, बे-खुशबू व्यक्तित्व, एक झलक देखने के बाद , मेरी आँखे  , पुरी साहिब को देखने  के लिये दुबारा हिम्मत जुटा रही थी, कुछ निःशब्द मिनटों की स्तब्धता तोड़ते हुऐ , गर्म Coffee पेश करते हुऐ, मैने पूछा, अब घर पर कौन है ?, बोले बेटी आयी हुई है मेरी, मुझे अपने साथ अमरीका ले जाने  की ज़िद  लिये हुए ।

मैंने कुछ बात होती देख पूछा, आज आपने कोई इत्र नही लगाया ?, शायद ठहरे हुऐ पानी को बहने से रोकने वाली मुँडेर को इसी ही ठोकर की तलाश थी, पूरे वेग से जो अश्रुपूरित धारा बही जैसे गंगोत्री से गंगासागर, चंद मिनट में पूरा ग़ुबार बह जाने के बाद उन्होंने Coffee का कप उठाया और संयत करते हुए बोले, पत्नी के देहांत के बाद आज पहली बार बाहर निकला हूं, अब किसी चीज का मन नही करता, इत्र का तो बिल्कुल ही नही, इत्र की खुशबू तो मेरी पत्नी के प्रेम का एक प्रतीकात्मक स्वरूप था । अब वो नही रही तो ..., विचलित और अश्रुपूरित अभिव्यक्ति से हल्के हुऐ चित्त से बोले , दो तीन दिन पहले ही मैने इत्र की शीशियों को देखा , फिर अलमारी बंद कर दी ।

मैने हिम्मत जुटाकर उन्हें कह ही डाला , पुरी साहिब, आप इत्र जरूर लगाया कीजिये, शीशी के अंदर भाभीजी की पसंदीदा  खुशबू, शीशी के बाहर उनका प्रेम भरा स्पर्श , यह सुनते ही उनकी आँखों मे एक चेतन प्रकाश साफ झलक गया ।

अगली मुलाकात में उनके आते ही ऑफिस फ़िर नई खुशबू से तर-ब-तर हो गया, मैंने मुस्कुराते हुऐ पूछा यह इत्र तो फ़िरदौस है , वे बोले नही , यह `खस` नामक इत्र है ग्रीष्म ऋतु का, इसकी तासीर ठंडी है , मुझको धन्यवाद देते हुये बोले, कपिल जी, पिछली बार आपकी बात मुझे दिल को छू गयी, और वाक़ई में मुझे इत्र लगाकर अपनी संगिनी के अप्रितम प्रेम का अहसास हुआ, अब मैं शांत चित्त लिये, एक महीने के प्रवास पर अपनी बेटी के साथ अमेरिका जा रहा हूँ ।
___

एक खुशबू आती थी, मैं भटकता जाता था 
रेशमी सी माया थी, और मैं तकता जाता था 
जब तेरी गली आया, सच तभी नज़र आया 
मुझमें ही वो खुशबू थी, जिससे तूने मिलवाया
                                         ..प्रसून जोशी
___

एक खुशबू आती थी : Short Story By Kapil with Kamini
December 8th , 2020
Noida ,U.P., India
All Rights Reserved

1 comment:

  1. Get High quality Gujarati-ringtones and mahadev Ringtones, Rajasthani Ringtone, krishna Ringtone and Krishna Flute Ringtone.

    Gujarati Ringtone

    Mahadev Ringtone

    Krishna Ringtone

    Rajasthani Ringtone

    ReplyDelete